जगजीत सिंह ने पोपुलर किया ग़ज़ल को जो पहले एक कुछ चुनिंदे लोग ही सुना करते थे. ग़ज़ल को एक आम आदमी तक पहुचाने वाले जगजीत साब ही थे. सन १९७०-८० के दसक में अपनी पत्नी के साथ एक पति पत्नी की जोड़ी बने वोह भी ग़ज़ल की दुनिया में जो अभी तक एक मिसाल है. ऐसे बहुत कम ही ग़ज़ल गायक है आज भारत में.
उन्होंने ग़ज़ल गायकी को आम आदमी तक पहुंचाई बल्कि ग़ज़ल को समझना और उसकी गहराई को जानना भी जगजीत जी की ही दें है. वोह ग़ज़ल को फिल्मों में जैसे प्रेम गीत, अर्थ, साथ साथ गा कर ग़ज़ल को घर घर तक पहुँचाया. साथ साथ एल्बम इस जोड़ी की सबसे हिट एल्बम में थी. उनके एक लोते बेटे की कार एक्सिडेंट में मृत्यु के बाद चित्रा सिंह ने गाना छोड़ दिया. उसके बाद कुछ दिनों तक जगजीत जी भी ने कुछ नहीं गया. उनकी ज़िन्दगी जैसे वीरान हो गई हो. काफी दिनों के बाद उन्हों ने अपनी एल्बम रिलीस की जिसका नाम था इन्सित जिसके बाद वो एक से एक हिट एल्बम रिलीस करते गए जिसमे मेरी पर्सनल फाव्राते है मरासिम, सिलसिले. इन एल्बम की गजले बस आँखों में पानी ले आती है.
उन्हें काफी पुरस्कार भी मिले जिसमे पद्म भूषण भी शामिल है . जगजीत जी एक मात्र ग़ज़ल गायक है जो अटल बिहारी बाजपाई जी की कविता को ग़ज़ल का रूप दिया और जिसे ग़ज़ल की दुनिया में काफी सराहा गया. जगजीत जी लगभग सरे बड़े प्लेबैक सिंगेर के साथ गया है.
ग़ज़ल के आलावा जग्ज्ती जी ने कुछ भजन गुरवानी वगरेह भी गया है. पंजाबी गीत के बढ़ावे के लिए उन्होंने काफी मेहनत की.
उनकी काफी गज़लूँ को फिल्मों में भी चित्रण किया गया और लोगों को behad पसंद भी किया गया. उनकी एल्बम मरासिम , आइना, फेस तो फेस को दुश्मन, सरफ़रोश, तुम बिन जैसे फिल्मों उसे किया गया.
उनके जाने के बाद ग़ज़ल की दुनिया में एक खालीपन सा आ गया है. अब इसे भर पाना मुस्किल ही नहीं ना मुमकिन है
कुछ नए ग़ज़ल गायक है जो शायद उनकी तरह गा पाए पर उनकी जगह को भर पाना ना म्मुम्किन है.
“अंक में आज फिर नमी सी है, आज फिर आपकी कमी सी है “
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