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Thursday, August 11, 2011

Reservation ya Arakshan

किस हद तक सही है कॉलेज में आरक्षण. आरक्षण होना चाहिए या नहीं और अगर होना चाहिए तो उसकी क्या मापदंड होनी चाहिए. जातिवाद या फिर आरक्षण उन्हें मिलनी चाहिए जो काबिल तो पढाई में पर उस पढाई के लिए जो हमारे कॉलेज ने बड़ी बड़ी फीस लेते है उसे दे पाने सक्षम नहीं है उन्हें आरक्षण मिलनी चाहिए. आज कल तो हमारे अगल बगल ऐसे लोग रहते हैं जो अगर जातिवाद के हिसाब से देखें तो आप उनके साथ बैठ नहीं सकते लेकिन उनके पास भी वो सारी आराम की चीज़ें है जो आज एक जेनरल कैतेगोरी में आने वाले लोग भी सोचते है दो बार खरीदने के लिए. और इनकी फॅमिली के बच्चे को आरक्षण मिलता है ये कहाँ का इन्साफ है. आरक्षण से हम मना नहीं करते लेकिन आरक्षण का आधार जातिवाद हो इससे हम सहमत नहीं है. आरक्षण का आधार होना चाहिए जो फीस दे पाने में सक्षम न हो. और इस्पे हमारी गवर्नमेंट को म्हणत करनी चाहिए और इस्पे रूल्स बनाने चाहिए. लेकिन हमारे राजनेता तो बस अपनी रोटी सकने में लगे रहते है चाहे वो कांग्रेस हो या फिर कोई और पोलिटिकल पार्टी सब को बस क्या करें की हमें वोट मिले बस उसी बेसिस पर काम करती हैं. अब देखिये आरक्षण मूवी को लेकर बवाल मचा दिया, जनता देखे की हम उनके हित में काम कर रहे है. मिनोरिटी में कोई भी जात हो चाहे वो मुस्लिम ही क्यूँ न हो सभी को इस्तेमाल किया गया है. अब देखिये हज यात्रा के लिए मुस्लिमो को रियात दी जाती है और हिन्दूओ से टैक्स वसूला जाता है अगर आपको अमरनाथ की यात्रा पर जाना हो तो. या कहाँ का इन्साफ है आप रियात दें पर उन्हें जिनको सही मैंने में ज़रूरत है. न की पोलिटिक्स के नाम पर वोट बैंक बढाने के लिए. आज कल जनता काफी समझदार हो गई है इसका उदहारण आप बिहार और बंगाल में देख चुके है और अब ये उत्तर प्रदेश और दिल्ली में होने वाला है न ही शिला जी रहींगी न ही बेहेन जी रहींगी गद्दी पर...

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